अनुराग श्रीवास्तव के साथ बबलू सिंह सेंगर महिया खास
जालौन (उरई)। श्री वीर हनुमान बालाजी मंदिर में चल रहे श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान के तीसरे दिन भगवताचार्य ने कहा कि कलियुग में वह व्यक्ति महान है, जिसे भगवान की लीला सुनने का अवसर प्राप्त होता है। भक्त और भगवान के बीच गहरा संबंध होता है। मनुष्य को सतकर्म अपनाना चाहिए जीवन में जो जैसा करता है, वैसा ही फल मिलता है। दुख तब होता है, जब किसी चीज पर हमारा मन लग जाता है। मन की इच्छाओं का अंत कभी नहीं होता है। इच्छायें निरंतर बढ़ती जाती है। राम नाम से ही इससे मुक्ति मिलती है। मनुष्य को सद्कर्म का मार्ग अपनाना चाहिए।
तीसरे दिन पंडाल में कथा सुनाते हुए भगवताचार्य शुभम कृष्ण ने कहा कि यह विश्व ही भगवान की मूर्ति है, विश्व का ही व्यापक अर्थ है विष्णु।विष्णु की नाभि से ब्रह्म का जन्म हुआ और ब्रह्म के दाहिने अंग से स्वायंभुव मनु, बांयें अंग से शतरूपा, इन्हीं से जड़-चेतन, स्थावर, जंगम सभी प्राणियों की उत्पत्ति हुई। तो मनु से मानव हुए इसलिए मानव भगवान के ही अंश हैं। भगवान में मिल सकता है मनुष्य, मनुष्य यदि सद्कार्य करे तो वह फिर से भगवान में मिल सकता है।उन्होंने बताया कि मनुष्य धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की प्राप्ति करने आया है। यदि इनमें से एक से भी वह वंचित रहा तो उसका मानव जीवन असफल हो जाता है। उन्होंने समुद्र मंथन से लक्ष्मी के प्रकट होने से लेकर वामन अवतार तक की कथा सुनायी। इसके अलावा भक्त ध्रुव, भरत राजा चरित्र, रहगुण संवाद, प्रहलाद चरित्र, गजेंद्र मोक्ष, समुद्र मंथन और भगवान वामन के अवतार का वर्णन किया। इस अवसर पर राजा बलि, भगवान वामन का वेश रखे भक्तों की झांकी ने कथा को जीवंत बना दिया। इस मौके पर पारीक्षत कमलेश पुजारी, पुष्पा निरंजन, अंजनी श्रीवास्तव, मनोज द्विवेदी, देवेन्द्र सिंह, आलोक शर्मा, बटुक शुक्ला, अखिल पटेल, रिषव यादव अरविंद सोनी आदि भक्त उपस्थित थे।
फोटो परिचय—
भागवत कथा का श्रवण करते लोग।